सूचना भवन, सरायकेला-खरसावां प्रेस विज्ञप्ति दिनांक: 19 जून, 2025

धरती आबा जनभागीदारी अभियान के अंतर्गत महिलाओं के यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध एवं प्रतितोष) अधिनियम, 2013 (POSH) पर जिला स्तरीय परामर्श कार्यशाला का आयोजन समाहरणालय स्थित झारनेट सभागार में किया गया।
कार्यशाला का उद्देश्य कार्यस्थलों को अधिक सुरक्षित, समानतामूलक एवं संवेदनशील बनाना तथा संबंधित अधिनियम के प्रभावी क्रियान्वयन हेतु विभागीय प्रतिनिधियों एवं संबंधित अधिकारियों को जागरूक एवं प्रशिक्षित करना था। कार्यशाला का संचालन डॉ. सुनीता ठाकुर एवं श्रीमती शालिनी शर्मा (जागोरी, नई दिल्ली) द्वारा किया गया।
कार्यशाला के दौरान निम्नलिखित प्रमुख विषयों पर चर्चा की गई:
लिंग आधारित हिंसा की संरचनात्मक समझ एवं उसका कानूनी परिप्रेक्ष्य
POSH अधिनियम, 2013 का विस्तृत विश्लेषण तथा अनुपालन से संबंधित व्यावहारिक चुनौतियाँ
आंतरिक शिकायत समिति (ICC) एवं स्थानीय समिति (LC) की भूमिका एवं प्रक्रिया
सामाजिक-सांस्कृतिक परिप्रेक्ष्य में केस स्टडी के माध्यम से कानूनी अनुपालन की व्याख्या
अनौपचारिक कार्यबल एवं सार्वजनिक संस्थानों में उत्पीड़न निवारण हेतु व्यावहारिक समाधान
प्रमुख चर्चाएँ एवं निष्कर्ष:
केवल अधिनियम की जानकारी पर्याप्त नहीं, अपितु मानसिकता में परिवर्तन अत्यावश्यक है।
कार्यस्थलों की कार्य संस्कृति में लैंगिक संवेदनशीलता को समाविष्ट किया जाना चाहिए।
सभी सार्वजनिक पदाधिकारियों को अपने संवैधानिक एवं नैतिक दायित्वों के प्रति सजग रहने की आवश्यकता है।
परिणाम एवं प्रभाव:
विभिन्न विभागों के मध्य बेहतर समन्वय एवं पारस्परिक जवाबदेही स्थापित हुई।
सभी संस्थानों में आंतरिक शिकायत समितियों (ICC) को सशक्त एवं सक्रिय करने की दिशा में प्रतिबद्धता व्यक्त की गई।
SMS द्वारा POSH अधिनियम के प्रभावी अनुपालन हेतु तकनीकी सहयोग प्रदान करने की प्रक्रिया प्रारंभ की गई।
भविष्य हेतु सतत संवाद, नीति सहयोग एवं सामाजिक दृष्टिकोण में सकारात्मक परिवर्तन की रूपरेखा निर्धारित की गई।
यह कार्यशाला इस तथ्य को रेखांकित करती है कि POSH अधिनियम केवल एक कानूनी दायित्व नहीं, बल्कि गरिमा, सुरक्षा एवं लैंगिक समानता सुनिश्चित करने की सामूहिक प्रतिबद्धता का परिचायक है।