सूचना भवन, सरायकेला-खरसावाँ प्रेस विज्ञप्ति दिनांक – 15 अक्टूबर, 2025.
समाहरणालय सभागार में “पोषण माह 2025” का समापन समारोह सम्पन्न — कुपोषण उन्मूलन हेतु समेकित प्रयास व सामुदायिक सहभागिता अनिवार्य : उप विकास आयुक्त, सरायकेला खरसावां
समाहरणालय सभागार में आज “पोषण माह 2025” के समापन समारोह का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता उप विकास आयुक्त सुश्री रीना हांसदा ने की। कार्यक्रम में जिला समाज कल्याण पदाधिकारी श्रीमती सत्या ठाकुर, एमओआईसी सरायकेला, शिक्षा विभाग, JSLPS कार्यालय के प्रतिनिधि, विभिन्न परियोजनाओं के CDPO, LS, आंगनवाड़ी सेविकाएँ, सहिया तथा अन्य संबंधित विभागों के प्रतिनिधि उपस्थित रहे।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उप विकास आयुक्त सुश्री रीना हांसदा ने कहा कि कुपोषण उन्मूलन केवल स्वास्थ्य विभाग की जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि यह प्रशासन, समाज और परिवार — सभी की सामूहिक जिम्मेदारी है। पोषण के प्रति जागरूकता और व्यवहार परिवर्तन से ही एक स्वस्थ, सक्षम और कुपोषण-मुक्त समाज का निर्माण संभव है। उन्होंने कहा कि सभी विभागों को आपसी समन्वय के साथ मिलकर कार्य करना होगा ताकि प्रत्येक परिवार पोषण के महत्व को समझे और उसे अपने जीवन का हिस्सा बनाए।
उन्होंने निर्देश दिया कि बच्चों तथा गर्भवती और धात्री महिलाओं के पोषण स्तर की नियमित निगरानी सुनिश्चित की जाए। आंगनवाड़ी केंद्रों और स्वास्थ्य संस्थानों में पोषण स्थिति का समयबद्ध मूल्यांकन किया जाए तथा सभी अभिलेखों का अद्यतन रखा जाए।
आंगनवाड़ी सेविकाओं, CDPO एवं महिला पर्यवेक्षिकाओं (Lady Supervisors) को निर्देशित किया गया कि वे अपने क्षेत्राधिकार में कुपोषित बच्चों की पहचान कर उन्हें आवश्यकतानुसार MTC (Malnutrition Treatment Centre) में भर्ती कराएं तथा प्रत्येक चिन्हित बच्चे की नियमित फॉलो-अप जांच सुनिश्चित करें।
उप विकास आयुक्त ने कहा कि पोषण अभियान में महिलाओं के साथ-साथ पुरुषों की सहभागिता भी सुनिश्चित की जाए। पुरुषों को पोषणयुक्त आहार, उसके सेवन के लाभ तथा कुपोषण से उत्पन्न बीमारियों के बारे में विस्तृत जानकारी देकर जागरूक किया जाए ताकि वे भी परिवार के स्वास्थ्य संरक्षण में सक्रिय भूमिका निभा सकें।
उन्होंने इस बात पर बल दिया कि स्थानीय उत्पादों को पोषण आहार का हिस्सा बनाया जाए। पत्तेदार साग, मौसमी फल-सब्जियाँ, अनाज, दालें एवं पारंपरिक पकवान जैसे पोषक तत्वों से भरपूर स्थानीय खाद्य पदार्थों के उपयोग को प्रोत्साहित किया जाए। इससे न केवल स्थानीय अर्थव्यवस्था सशक्त होगी बल्कि पोषण स्तर में भी सुधार आएगा।
कुपोषण मुक्त परिवार एवं समाज के निर्माण के लिए यह एक सतत प्रक्रिया है, जो निरंतर चलती रहनी चाहिए। व्यवहार परिवर्तन की दिशा में आंगनवाड़ी केंद्रों, विद्यालयों और समुदाय स्तर पर लगातार जन-जागरूकता एवं प्रशिक्षण कार्यक्रम संचालित किए जाएँ।
उन्होंने कहा कि आज महिलाएँ परिवार और समाज दोनों के विकास में सक्रिय भागीदारी निभा रही हैं — बच्चों की देखभाल, भोजन की योजना और आर्थिक सहयोग तक उनकी भूमिका महत्वपूर्ण है। उन्होंने इस दिशा में पुरुषों की भी समान भागीदारी सुनिश्चित करने की आवश्यकता बताई ताकि परिवार को कुपोषण-मुक्त रखने में सभी सदस्य सहयोगी बनें।
उप विकास आयुक्त ने यह भी कहा कि तेल, नमक और चीनी के उचित एवं सीमित उपयोग के प्रति लोगों को जागरूक किया जाए ताकि उन्हें जीवनशैली से संबंधित बीमारियों से बचाया जा सके।
उन्होंने सभी संबंधित विभागों को निर्देश दिया कि वे आपसी समन्वय स्थापित करते हुए लोगों को पोषणयुक्त आहार, उसके सेवन के तरीके तथा स्वस्थ जीवनशैली के विषय में नियमित जानकारी दें। सामुदायिक स्तर पर जन अभियान चलाकर लोगों को कुपोषण मुक्त परिवार, समाज और राज्य निर्माण की दिशा में सहभागी बनाया जाए।
कार्यक्रम के दौरान जिला समाज कल्याण पदाधिकारी द्वारा पोषण अभियान के अंतर्गत विभिन्न योजनाओं और गतिविधियों की विस्तृत जानकारी प्रस्तुत की गई।
